बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 7
मैथिलीशरण गुप्त
आर्य तथा मातृभूमि
व्याख्या भाग
1. मैथिलीशरण गुप्त
आर्य
हम कौन थे, क्या हो गये हैं, और क्या होंगे अभी
आओ विचारें आज मिल कर, यह समस्याएँ सभी
भू लोक का गौरव, प्रकृति का पुण्य लीला स्थल कहाँ
फैला मनोहर गिरि हिमालय, और गंगाजल कहाँ
सम्पूर्ण देशों से अधिक, किस देश का उत्कर्ष है
उसका कि जो ऋषि भूमि है, वह कौन, भारतवर्ष है
शब्दार्थ - भूलोक = पृथ्वी। गिरि = पर्वत। उत्कर्ष = महत्ता, श्रेष्ठता।
सन्दर्भ एवं प्रसंग - प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ राष्ट्रकवि मैथिलीशरण द्वारा रचित प्रसिद्ध कविता 'आर्य' से उद्धृत हैं।
यहाँ कवि ने भारतवर्ष के प्राचीन गौरव का स्मरण कराते हुए वर्तमान स्थिति का आकलन प्रस्तुत किया है।
व्याख्या - कवि कहता है कि हम कौन थे अर्थात् पूर्व में हम कितने समृद्ध, गौरवशाली, बलशाली हुआ करते थे, लेकिन वर्तमान में हम कैसे हो गए हैं और आगे भी न जाने और क्या हो जाएँगे। यह अत्यन्त गम्भीर समस्या है। इस समस्या को हम सबको मिलकर सोचना चाहिए और इसका समाधान करना चाहिए।
कवि आगे अतीत के गौरव का वर्णन करता हुआ कहता है कि हमारा देश सम्पूर्ण पृथ्वी का गौरव रहा है, प्रकृति जिस प्रकार यहाँ लीला करती है, समस्त पृथ्वी पर ऐसी लीला कहीं नहीं है अर्थात् भारतवर्ष में जितनी ऋतुएँ समय-समय पर आती हैं अन्य स्थानों पर यह सम्भव नहीं है, पूरे संसार में हिमालय जैसा मनोहर और विशाल पर्वत नहीं है और न ही पवित्र गंगाजल कहीं उपलब्ध हो। सोचकर देखें तो लगता है कि सम्पूर्ण देशों में सर्वश्रेष्ठ कौन-सा देश है? उत्तर मिलता है कि जो ऋषियों की भूमि है, जिसका नाम भारतवर्ष है, वहीं सर्वश्रेष्ठ देश है।
काव्यगत सौन्दर्य -
1. यहाँ कवि की राष्ट्रीय चेतना की भावना मुखर हुई है।
2. हमें अपने अतीत को देखते हुए वर्तमान स्थिति को गम्भीरतापूर्वक सोचना चाहिए।
3. भाषा - साहित्यिक खड़ी बोली।
4. शब्दशक्ति - अभिधा।
5. रस - वीर।
6. अलंकार - अनुप्रास, उल्लेख।
वे आर्य ही थे जो कभी, अपने लिये जीते न थे
वे स्वार्थ रत हो मोह की, मदिरा कभी पीते न थे
वे मंदिनी तल में, सुकृति के बीज बोते थे
सदा परदुःख देख दयालुता से, द्रवित होते थे सदा
शब्दार्थ - स्वार्थरत = अपने विषय में ही सोचना। मोह = अत्यधिक लगाव। मदिरा= शराब। मंदिनी तल = नदी।
सन्दर्भ - पूर्ववत्।
प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियों में राष्ट्रकवि गुप्त जी ने आर्यों की श्रेष्ठता का वर्णन किया है।
व्याख्या - कवि कहता है कि वे आर्यजन ही थे, जो स्वयं के लिए नहीं वरन् दूसरों की भलाई के लिए जीवन जीते थे। वे कभी भी मोहवश स्वार्थी नहीं होते थे, वे कभी मदिरापान नहीं करते थे, वे सदैव दूसरों का भला ही सोचते थे। जब भी वे विचार करने बैठते तो नदी और मिट्टी में अच्छे कार्यों का, संस्कारों का बीजारोपण करते थे। दूसरे का दुःख देखकर वह दया से द्रवित हो उठते थे अर्थात् वह दूसरों का दुःख सहन नहीं कर सकते थे और सदैव सबकी सहायता के लिए तत्पर रहते थे।
काव्यगत सौन्दर्य -
1. कवि का राष्ट्र के प्रति समर्पण भाव लक्षित है।
2. अतीत के गौरव का गुणगान किया गया है।
3. भाषा - साहित्यिक खड़ी बोली।
4. शब्दशक्ति - अभिधा।
5. रस - वीर।
6. गुण - ओज।
7. अलंकार- अनुप्रास।
वे मोह बंधन मुक्त थे, स्वच्छंद थे स्वाधीन थे
सम्पूर्ण सुख संयुक्त थे, वे शान्ति शिखरासीन थे
मन से, वचन से, कर्म से, वे प्रभु भजन में लीन थे
विख्यात ब्रह्मानंद नद के, वे मनोहर मीन थे
शब्दार्थ - मुक्त = स्वतन्त्र। स्वाधीन = स्वतन्त्र। शिखरासीन = ऊँचाई पर स्थित। ब्रह्मानन्द नद = आनन्द के सरोवर। मीन = मछली।
सन्दर्भ एवं प्रसंग - पूर्ववत्।
व्याख्या - कवि कहता है कि हमारे पूर्वज आर्य हर प्रकार के मोह के बन्धनों से मुक्त थे, वे स्वच्छंदतापूर्वक अर्थात् मनमर्जी से जीते थे, वे किसी के अधीन न होकर स्वतन्त्र थे, उनके पास हर प्रकार सुख था, वे शान्ति के सर्वोच्च शिखर पर विराजमान थे। वे सदैव मन, वचन, कर्म से कर्म से प्रभु के भजन में लीन रहते थे। संसार में प्रसिद्ध ब्रह्मानन्द सरोवर में रहने वाली मनोहारी मछली के समान विचरण करते थे। अभिप्राय यह है कि उनका जीवन हर प्रकार बाधा से दूर था और वे ब्रह्मानन्द को प्राप्त करते थे।
काव्यगत सौन्दर्य -
1. यहाँ कवि ने आर्यों के शान्त, निस्पृह जीवन के स्वरूप को वर्णित किया है।
2. भाषा – साहित्यिक खड़ी बोली।
3. गुण- ओज।
4. रस - वीर।
5. अलंकार - अनुप्रास, उपमा।
2. मातृभूमि
1
नीलाम्बर परिधान हरित पट पर सुन्दर है,
सूर्य-चन्द्र युग मुकुट, मेखला रत्नाकर है।
नदियाँ प्रेम-प्रवाह, फूल तारे-मण्डल हैं,
वन्दीजन खग-वृन्द, शेष फल सिंहासन है।
करते अभिषेक पयोद हैं, बलिहारी इस देश की !
है मातृभूमि तू सत्य ही, सगुण मूर्ति सर्वेश की।।
मृतक-समान अशक्त विवश आँखों को मीचे।
गिरता हुआ विलोक गर्भ से हमको नीचे।
कर के जिसने कृपा हमें अवलम्ब दिया था,
लेकर अपने अतुल अङ्क में त्राण किया था।
जो जननी का भी सर्वदा, थी पालन करती रही।
तू क्यों न हमारी पूज्य हो मातृभूमि मातामही ॥
संदर्भ - प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक आधुनिक हिन्दी कविता के 'मातृभूमि' कविता से अवतरित है, जिसके रचयिता मैथिलीशरण गुप्त हैं।
प्रसंग - राष्ट्रीय कवि मैथिलीशरण गुप्त ने 'मातृभूमि' कविता में अपनी मातृभूमि की महत्ता एवं उसके प्रति अपने प्रगाढ़ लगाव का ऋण स्वीकारी भाव से वर्णन किया है जिसका वर्णन इन पंक्तियों में हुआ है।
व्याख्या - नीले आकाश के पहनावा वाली यह मातृभूमि हरे वस्त्र पर सुशोभित है। सूर्य और चन्द्र दोनों इस मातृभूमि के मुकुट और समुद्र करधनी है। तारों का मण्डल पुष्प और नदियाँ प्रेम-प्रवाह हैं। बन्दीजन हैं पक्षियों का समूह है। शेष फन इस मातृभूमि का सिंहासन है। इसका अभिषेक बादल करते हैं, इस वेश पर बहिहारी है। हे मातृभूमि ! तुम ईश्वर की साकार मूर्ति हो, यह सत्य है। मृतक के समान, अशक्त, विवश आँखें नीचे किए हुए, गर्भ से नीचे गिरता हुआ मातृभूमि ही हमें देखती है। कृपा करके जिसने हमको सहारा दिया है, जिसने अपने अतुल अंक में हमको रक्षा प्रदान किया था। जिसने माता के समान हमेशा पालन किया है, मातामही मातृभूमि आप हमारी पूज्य क्यों नहीं हो सकती हैं। अतः आप हमारी हर विधा से पूज्य हैं।
'शेषफन-सिंहासन' पर अधिष्ठित अपनी मातृभूमि कवि को 'सर्वेश का सगुण मूर्ति' लगती है, वह इस पर बलि-बलि जाता है- बलिहारी जाता है! जो भूमि पैदा होते ही नवजात को सहारा देती है, ममतापूर्वक अपनी गोद में लेकर उसकी रक्षा करती है और जो उसकी जननी की भी पालनहार है, उस मातृभूमि पृथ्वी से वह पूज्यभाव से 'मातामही' के रूप में अपना नाता जोड़ता है।
विशेष - मातृभूमि की महत्ता का वर्णन प्रस्तुत पंक्तियों में चित्रित किया गया है।
2.
हमें जीवनाधार अन्न तू ही देती है,
बदले में कुछ नहीं किसी से तू लेती है।
श्रेष्ठ एक-से-एक विविध द्रव्यों के द्वारा,
पोषण करती प्रेमभाव से सदा हमारा ॥
हे मातृभूमि ! उपजे न जो, तुझसे कृषि - अंकुर कभी।
तो तड़प-तड़प कर जल भरें, जठरानल में हम सभी ॥
पाकर तुझसेसभी सुखों को हमने भोगा,
तेरा प्रत्युपकार कभी क्या हमसे होगा?
तेरी ही यह देह तुझी से बनी हुई है,
बस तेरे ही सुरस - सार से सनी हुई है।
हा ! अन्त समय तू ही इसे अचल देख अपनायेगी।
हे मातृभूमि ! यह अन्त में, तुझमें ही मिल जायेगी ॥
संदर्भ - पूर्ववत्।
प्रसंग - इस पद्यांश में पृथ्वी द्वारा प्रदान की जाने वाली चीजों के विषय में बताया गया है।
व्याख्या - अन्न जो जीवन का आधार है वह हमें पृथ्वी ही प्रदान करती है। उसके एवज में वह हमसे कुछ भी नहीं लेती है। कुछ भी कामना नहीं करती। एक से एक मूल्यवान पदार्थ प्रदान कर वह हमारा प्रेमपूर्वक पोषण करती है। यदि कभी ऐसा हुआ कि कृषि उपज न हो तो हम सब पेट की आग में तड़प-तड़प कर जलने-मरने लगते हैं। पृथ्वी पर उत्पन्न प्राकृतिक उपादानों से ही हम सारा वैभव भोगते हैं, सुखभोग करते हैं, क्या इसका कोई प्रत्युपकार दे पाना सम्भव है? मिट्टी की यह देह इस मिट्टी से ही विनिर्मित है, उसके ही रस में सनी गुँथी है और यह शरीर जिस दिन निश्चल निर्जीव हो जायेगी, उस दिन फिर इस मिट्टी में मिल जायेगी।
विशेष - भाषा, सरल, सुगम तथा भावपूर्ण है।
3.
कारण वश जब शोकदाह से हम दहते हैं,
तब तुझ पर ही लोट- लोटकर दुःख सहते हैं।
पाखण्डी भी धुल चढ़ाकर तन में तेरी,
कहलाते हैं साधु, नहीं लगती है देरी ॥
इस तेरी ही शुचि धूलि में, मातृभूमि! वह शक्ति है।
जो क्रूरों के भी चित्त में, उपजा सकती भक्ति है।
संदर्भ - पूर्ववत्।
प्रसंग - इन पंक्तियों में मातृभूमि की धूलि के विषय में वर्णन किया गया है।
व्याख्या - कवि का यह मानना है कि उसकी मातृभूमि की धूलि परम पवित्र है। यह धूल शोकदाह में दहते हुए प्राणी को सुख देने की क्षमता देती है। पाखण्डी ढोंगी व्यक्ति भी इस धूल को तन- माथे लगाकर साधु-सज्जन बन जाता है। इस पृथ्वी में वह शक्ति है जो क्रूर हिंस्र में भी भक्तिभाव पैदा कर सकती है।
विशेष - इन पंक्तियों में प्रेरणा प्रदान की गयी है।
कोई व्यक्ति विशेष नहीं तेरा अपना है,
जो यह समझे हाय ! देखता वह सपना है।
तुझको सारे जीव एक-एक ही प्यारे हैं,
कर्मों के फल मात्र यहाँ न्यारे-न्यारे हैं।
हे मातृभूमि ! तेरे निकट, सब का सम सम्बन्ध हैं।
जो भेद मानता वह अहो, लोचनयुक्त भी अन्ध है।
जिस पृथ्वी में मिले हमारे पूर्वज प्यारे,
उससे हे भगवान् कभी हम रहें न न्यारे।
लोट- लोटकर वहीं हृदय को शान्त करेंगे,
उसमें मिलते समय मृत्यु से नहीं डरेंगे ॥
उस मातृभूमि की धूल में, जब पूरे सन जायेंगे।
होकर भव-बन्धन मुक्त हम, आत्मरूप बन जायेंगे।
संदर्भ - पूर्ववत्।
प्रसंग - इन पंक्तियों में पृथ्वी के समभाव का चित्रण किया गया है।
व्याख्या - इस मातृभूमि की यह रेखांकीय विशिष्टता है कि वह सभी प्राणियों को सम-समानभाव से देखती है, उसे सब जीव एक जैसे प्रिय हैं उसके लिए कोई भी विशेष अपना पराया नहीं है, मात्र कर्मफल के कारण सबकी स्थिति अलग-अलग है। इस पृथ्वी का कोई अपना विशेष नहीं है, यदि कोई यह समझता है कि पृथ्वी का अपने विशेष भी हैं तो वह केवल स्वप्न देखता ही है। पृथ्वी को सम्पूर्ण जीव एक से बढ़कर एक प्रिय हैं, यहाँ कर्मों का फल न्यारा है। पृथ्वी के निकट सब का समान सम्बन्ध है जो धरा के तथ्य सत्य को नहीं समझता और इसमें भेद - दृष्टि मानता है। वह 'लोचन अन्ध' है। पृथ्वी पर मेरे पूर्वज भी रहें मैं उनसे अलग नहीं हो सकता। इस पृथ्वी पर पैदा हुआ हूँ तो यहाँ मरेंगे भी इसमें डरने की कोई बात नहीं है। अपनी मातृभूमि के प्रति कवि का आत्मिक लगाव है। अतः वह अपने अन्तिम समय में अपनी मातृभूमि की मिट्टी में मिलकर 'भवबन्धनमुक्त' हो 'आत्मरूप' बन जाता है।
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- अध्याय - 1 चंदबरदाई : पृथ्वीराज रासो के रेवा तट समय के अंश
- प्रश्न- रासो की प्रमाणिकता पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो महाकाव्य की भाषा पर अपना मत स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो को जातीय चेतना का महाकाव्य कहना कहाँ तक उचित है। तर्क संगत उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो के सत्ताइसवें सर्ग 'रेवा तट समय' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- रासो शब्द की व्युत्पत्ति के सम्बन्ध में प्राप्त मतों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो' में अभिव्यक्त इतिहास पक्ष की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति भोग के कवि हैं? क्यों?
- अध्याय - 2 जगनिक : आल्हा खण्ड
- प्रश्न- जगनिक के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- जगनिक कृत 'आल्हाखण्ड' का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आल्हा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कवि जगनिक द्वारा आल्हा ऊदल की कथा सृजन का उद्देश्य वर्णित कीजिए। उत्तर -
- प्रश्न- 'आल्हा' की कथा का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कवि जगनिक का हिन्दी साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
- अध्याय - 3 गुरु गोविन्द सिंह
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह की रचनाओं पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह' की भाषा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिख धर्म में दशम ग्रन्थ का क्या महत्व है?
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह के पश्चात् सिख धर्म में किस परम्परा का प्रचलन हुआ?
- अध्याय - 4 भूषण
- प्रश्न- महाकवि भूषण का संक्षिप्त जीवन और साहित्यिक परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भूषण ने किन काव्यों की रचना की?
- प्रश्न- भूषण की वीर भावना का स्वरूप क्या है?
- प्रश्न- वीर भावना कितने प्रकार की होती है?
- प्रश्न- भूषण की युद्ध वीर भावना की उदाहरण सहित विवेचना कीजिए।
- अध्याय - 5 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की शैलीगत विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की भाव-पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु जी के काव्य की कला पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भीतर भीतर सब रस चूस पद की व्याख्या कीजिए।
- अध्याय - 6 अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
- प्रश्न- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' का जीवन परिचय दीजिए।
- प्रश्न- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' के काव्य की भाव एवं कला की भाव एवं कलापक्षीय विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्विवेदी युग के प्रतिनिधि कवि हैं।
- प्रश्न- हरिऔध जी का रचना संसार एवं रचना शिल्प पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रिय प्रवास की छन्द योजना पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- 'जन्मभूमि' कविता में कवि हरिऔध जी का देश की भूमि के प्रति क्या भावना लक्षित होती है?
- अध्याय - 7 मैथिलीशरण गुप्त
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'गुप्त जी राष्ट्रीय कवि की अपेक्षा जातीय कवि अधिक हैं। उपर्युक्त कथन की युक्तिपूर्ण विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गुप्त जी के काव्य के कला-पक्ष की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त की कविता मातृभूमि का भाव व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त किस कवि के रूप में विख्यात हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'मातृभूमि' कविता में मैथिलीशरण गुप्त ने क्या पिरोया है?
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त के प्रथम काव्य संग्रह का क्या नाम है? साकेत की कथावस्तु का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त ने आर्य शीर्षक कविता में क्या उल्लेख किया है?
- अध्याय - 8 जयशंकर प्रसाद
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।'
- प्रश्न- महाकवि जयशंकर प्रसाद के काव्य में राष्ट्रीय चेतना का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- 'प्रसाद' के कलापक्ष का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- 'अरुण यह मधुमय देश हमारा' कविता का सारांश / सार/ कथ्य अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- प्रसाद जी द्वारा रचित राष्ट्रीय काव्यधारा से ओत-प्रोत 'प्रयाण गीत' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- जयशंकर प्रसाद जी का हिन्दी साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
- प्रश्न- प्रसाद जी के काव्य में नवजागरण की मुख्य भूमिका रही है। तथ्यपूर्ण उत्तर दीजिए।
- अध्याय - 9 सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
- प्रश्न- 'सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' एक क्रान्तिकारी कवि थे।' इस दृष्टि से उनकी काव्यगत प्रवृत्तियों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'निराला ओज और सौन्दर्य के कवि हैं। इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निराला के काव्य-भाषा पर एक निबन्ध लिखिए। यथोचित उदाहरण भी दीजिए।
- प्रश्न- निराला के जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निराला के काव्य में अभिव्यक्त वैयक्तिकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निराला के काव्य में प्रकृति का किन-किन रूपों में चित्रण हुआ है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निराला के साहित्यिक जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निराला की सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निराला की विद्रोहधर्मिता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- महाकवि निराला जी की 'भारती जय-विजय करे' कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 10 माखनलाल चतुर्वेदी
- प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- "कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी के काव्य में राष्ट्रीय चेतना लक्षित होती है।" इस कथन की सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- 'माखनलाल जी' की साहित्यिक साधना पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी ने साहित्य रचना का महत्व किस प्रकार प्रकट किया?
- प्रश्न- साहित्य पत्रकारिता में माखन लाल चतुर्वेदी का क्या स्थान है
- प्रश्न- 'पुष्प की अभिलाषा' कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित 'जवानी' कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 11 सुभद्रा कुमारी चौहान
- प्रश्न- कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सुभद्रा कुमारी चौहान किस कविता के माध्यम से क्रान्ति का स्मरण दिलाती हैं?
- प्रश्न- 'वीरों का कैसा हो वसंत' कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- 'झाँसी की रानी' गीत का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 12 बालकृष्ण शर्मा नवीन
- प्रश्न- पं. बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' जी का जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कवि बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' जी की राष्ट्रीय चेतना / भावना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'विप्लव गायन' गीत का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- नवीन जी के 'हिन्दुस्तान हमारा है' गीत का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- कवि बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' स्वाधीनता के पुजारी हैं। इस कथन को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 13 रामधारी सिंह 'दिनकर'
- प्रश्न- दिनकर जी राष्ट्रीय चेतना और जनजागरण के कवि हैं। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "दिनकर" के काव्य के भाव पक्ष को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- 'दिनकर' के काव्य के कला पक्ष का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- रामधारी सिंह दिनकर का संक्षिप्त जीवन-परिचय दीजिए।
- प्रश्न- दिनकर जी द्वारा विदेशों में किए गए भ्रमण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- दिनकर जी की काव्यधारा का क्रमिक विकास बताइए।
- प्रश्न- शहीद स्तवन (कलम आज उनकी जयबोल) का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- दिनकर जी की 'हिमालय' कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 14 श्यामलाल गुप्त 'पार्षद'
- प्रश्न- कवि श्यामलाल गुप्त का जीवन परिचय एवं राष्ट्र चेतना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- झण्डा गीत का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- पार्षद जी ने स्वाधीनता आन्दोलन में शामिल होने के कारण क्या-क्या कष्ट सहन किये।
- प्रश्न- श्यामलाल गुप्त पार्षद के हिन्दी साहित्य में योगदान के लिए क्या सम्मान मिला?
- अध्याय - 15 श्यामनारायण पाण्डेय
- प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डे के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डेय ने राष्ट्रीय चेतना का संचार किस प्रकार किया?
- प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डेय द्वारा रचित 'चेतक की वीरता' कविता का सार लिखिए।
- प्रश्न- 'राणा की तलवार' कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- अध्याय - 16 द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी
- प्रश्न- प्रसिद्ध बाल कवि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'उठो धरा के अमर सपूतों' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- वीर तुम बढ़े चलो गीत का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 17 गोपालप्रसाद व्यास
- प्रश्न- कवि गोपालप्रसाद 'व्यास' का एक राष्ट्रीय कवि के रूप में परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कवि गोपाल प्रसाद व्यास किस भाषा के मर्मज्ञ माने जाते थे?
- प्रश्न- गोपाल प्रसाद व्यास द्वारा रचित खूनी हस्ताक्षर कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- "शहीदों में तू अपना नाम लिखा ले रे" कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- अध्याय - 18 सोहनलाल द्विवेदी
- प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी जी का जीवन और साहित्य क्या था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी के काव्य में समाहित राष्ट्रीय चेतना का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'मातृभूमि' कविता का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- 'तुम्हें नमन' कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी जी ने महात्मा गाँधी को अपने काव्य में क्या स्थान दिया है?
- प्रश्न- सोहनलाल द्विवेदी जी की रचनाएँ राष्ट्रीय जागरण का पर्याय हैं। स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 19 अटल बिहारी वाजपेयी
- प्रश्न- कवि अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- अटल बिहारी वाजपेयी के कवि रूप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अटल जी का काव्य जन सापेक्ष है। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- अटल जी की रचनाओं में भारतीयता का स्वर मुखरित हुआ है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कदम मिलाकर चलना होगा कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- उनकी याद करें कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 20 डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'
- प्रश्न- डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निशंक जी के साहित्य के विषय में अन्य विद्वानों के मतों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हम भारतवासी कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- मातृवन्दना कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 21 कवि प्रदीप
- प्रश्न- कवि प्रदीप के जीवन और साहित्य का चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- कवि प्रदीप की साहित्यिक अभिरुचि का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कवि प्रदीप किस विचारधारा के पक्षधर थे?
- प्रश्न- 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत का आधार क्या था?
- प्रश्न- गीतकार और गायक के रूप में कवि प्रदीप की लोकप्रियता कब हुई?
- प्रश्न- स्वतन्त्रता आन्दोलन में कवि प्रदीप की क्या भूमिका रही?
- अध्याय - 22 साहिर लुधियानवी
- प्रश्न- साहिर लुधियानवी का साहित्यिक परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'यह देश है वीर जवानों का' गीत का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- साहिर लुधियानवी के गीतों में किन सामाजिक समस्याओं को उठाया गया है?
- अध्याय - 23 प्रेम धवन
- प्रश्न- गीतकार प्रेम धवन के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गीतकार प्रेम धवन के गीत देशभक्ति से ओतप्रोत हैं। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'छोड़ों कल की बातें' गीत किस फिल्म से लिया गया है? कवि ने इसमें क्या कहना चाहा है?
- प्रश्न- 'ऐ मेरे प्यारे वतन' गीत किस पृष्ठभूमि पर आधारित है?
- अध्याय - 24 कैफ़ी आज़मी
- प्रश्न- गीतकार कैफी आज़मी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- "सर हिमालय का हमने न झुकने दिया।" इस पंक्ति का क्या भाव है?
- प्रश्न- "कर चले हम फिदा जानोतन साथियों" गीत का प्रतिपाद्य / सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- सैनिक अपनी मातृभूमि के प्रति क्या भाव रखता है?
- अध्याय - 25 राजेन्द्र कृष्ण
- प्रश्न- गीतकार राजेन्द्र कृष्ण के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती हैं बसेरा' गीत का मूल भाव क्या है?
- अध्याय - 26 गुलशन बावरा
- प्रश्न- गीतकार गुलशन बावरा के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'मेरे देश की धरती सोना उगले गीत का प्रतिपाद्य लिखिए। '
- अध्याय - 27 इन्दीवर
- प्रश्न- गीतकार इन्दीवर के जीवन और फिल्मी कैरियर का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'है प्रीत जहाँ की रीत सदा' गीत का मुख्य भाव क्या है?
- प्रश्न- गीतकार इन्दीवर ने किन प्रमुख फिल्मों में गीत लिखे?
- अध्याय - 28 प्रसून जोशी
- प्रश्न- गीतकार प्रसून जोशी के जीवन और साहित्य का चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'देश रंगीला रंगीला' गीत में गीतकार प्रसून जोशी ने क्या चित्रण किया है?
- प्रश्न- 'देश रंगीला रंगीला' गीत में कवि ने इश्क का रंग कैसा बताया है?